आगरा. इंडिया में लर्न किया, विदेशों में जाकर अर्न किया और अब समय आ गया है कि इंडिया को रिर्टन किया जाए। अप्रवासी सम्मेलन में आए यूपी के अप्रवासी की सोच अब अपनी माटी से जुडऩे की है तो किसी के मन मे अब भी संशय है। इसलिए ही जब उनसे यहां निवेश के लिए पूछा गया तो कई एनआरआई के सवाल भी बड़े तीखे थे। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में शिरकत के लिए करीब एक हजार लोगों को निमंत्रण भेजा गया होगा लेकिन यहां आए केवल वहीं है, जिनकी निवेश की रुचि है।
तीस साल बाद लौटेःटी हसन
आजमगढ़ के मूल निवासी व अभी ऑस्ट्रेलिया में मैटेलिक रिसर्च के अरबपति डॉ. टी हसन कहते हैं कि तीस साल बाद लौट हैं, जब गए थे तब तो लौटने का मन भी नहीं था। हां, याद तो वतन की आती ही थी। बीच में शायरों की भूमि आजमगढ़ के बारे में कड़वी खबरें सुनकर मन और खराब हो जाता था। सरकार के निमंत्रण पर इस बार आए हैं तो मन बदला है। वहां भी इतनी साल रहने के बाद भी अजनबीपन लगता है, क्योंकि एक हजार में केवल दस ही अपने जैसे दिखते हैं। अपनापन तो तब आए, जब सब कम से कम अपने जैसे दिखें। इसलिए परिवार से विमर्श कर इंडिया लौटने का मन बना रहे हैं।
नहीं देते हैं सलाहः संजय कुमार
कानपुर के मूल निवासी व वर्तमान में शिशु चिकित्सा में अमरीका के बड़े नाम डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि हम जब निवेश करेंगे तो नेताओं से नहीं, उद्योगपति मित्रों से पूछेंगे। उनकी सलाह ज्यादातर नकारात्मक होती है। वे कहते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक अरबपति भारत में है, निवेश करने के लिए उनके पास ही पैसे की कमी नहीं है। आज भी भारत में उद्योगपति को ईमानदार के रूप में नहीं देखा जाता है। दूसरा उनको आज भी क्लियेरंस की समस्या विद्यमान है।
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