चड़ई गांव के अखाड़े से निकलते हैं देश के रखवाले
जी हां जिले में एक ऐसा गांव है जहां के अखाड़े से पहलवान हीं बल्कि सिर्फ सेना के जवान निकलते है
आजमगढ़. जी हां जिले में एक ऐसा गांव है जहां के अखाड़े से पहलवान हीं बल्कि सिर्फ सेना के जवान निकलते है। इस छोटे से गांव में शायद ही कोई ऐसा घर मिले जिसका कोई सदस्य देश के सरहद की सुरक्षा में न लगा हो। अगर कोई घर गलती से मिल भी गया तो उस घर का युवा सेना में जाने के लिए अखाड़े में पसीना बहाते हुए मिलेगा। यहां के नौजवानों में देश सेवा का अजब जज्बा दिखता है।
बात हो रही है रानी की सराय ब्लाक के चड़ई गांव की। गांव के सौ से ज्यादा लोग सेना में अपनी सेवा दे रहे है। बाकी नौजवान भी सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी में लगे रहते हैं और जब भी कभी उन्हें जानकारी मिलती है कि भर्ती होने वाली है तो घर से चल देते हैं। सेना में भर्ती के लिए गांव के युवा अपनी तैयारी की शुरुआत गांव के अखाड़े से करते हैं। उसके बाद पास के सेठवल कालेज के मैदान में दौड़ की प्रैक्टिस करते हैं।
इन नौजवानों को दिशा-निर्देश देते हैं राज्य स्तरीय युवा कुश्ती चैंपियन अमरजीत यादव और किन्हीं कारणों से सेना की नौकरी छोड़ चुके राम अवध। यहां के युवाओं में देश सेवा के जज्बे का ही शायद नतीजा रहा कि एक -एक कर देश सेवा की कतार में शामिल होते गये। गांव के बुजुर्गाे को भी गांव के इन होनहारों पर नाज रहता है । गांव के इन्द्रजीत, धर्मजीत, जयप्रकाश, विनोद, उमाशंकर, रामकेवल, पप्पू ,दयाराम, जयराम, रामदरश, रामकृष्ण, लालबिहारी, परविन्द, अखिलेश, वीरेन्द्र, अश्विनी, बाबूराम, हीरा, रामदयाल, रामअवध, झिन्नू, दूधनाथ, जगधारी, चन्द्रप्रताप, झारखण्डी, श्यामबहादुर, श्यामलाल, रामशबद, रामकुमार, सन्तलाल आदि देश सेवा में लगे हुए हैं जबकि एक दर्जन लोग सेवानिवृत्ति हो चुके हैं।
गांव के अखाड़े पर कुश्ती के गुर सिखाने वाले राच्य स्तरीय युवा कुश्ती चैम्पियन अमरजीत यादव का कहना है नौकरी तो बहुत से लोग करते हैं लेकिन सैनिक बनना बड़े गौरव की बात है। गांव के नौजवान गांव की ही मिट्टी से तैयारी कर देश सेवा की ओर अग्रसर हैं। क्षेत्र के एक ही गांव की सेना में इतनी भागीदारी हमारे ही नहीं बल्कि जिले के लिए गौरव की बात है। युवाओं की तैयारी में अखाड़े के पहलवान रामअवध नित्य नये गुर बताते हैं। इससे युवा अच्छी तैयारी कर लेते हैं।
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